MANISH MADDHESHIYA   (MANISH MADDHESHIYA)
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Joined 3 March 2018


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Joined 3 March 2018
21 DEC 2021 AT 2:33

कई लोग रुखसत हुए इस दिल से
इस मक़ान को विरान बना के
और अन्धेरे का दामन थाम्
बुझ गए सभी चराग़ उम्मीद की राह तकते।

फिर एक सर्द रात आकर तुमने चराग़ सारे रोशन करे
संघर्ष करती उस लौं को फ़िरसे जलना सिखाया
धूल मे लिपटी उस जीवन की किताब का मतलब समझाया।

तुम्हारी आदत सी हो गई है
अब उस लौ को मेरी सांस समझना ।।




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31 MAR 2021 AT 23:56

तुझे खोने से ज्यादा तेरा होने से डरता हूँ
खुद से ज्यादा अपनी किस्मत से डरता हूँ ।

मेहमान आप सा बहुत आये इस बियाबान में
अब तो फ़क़त इस मेहमान नवाज़ी से डरता हूँ ।।

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23 JAN 2021 AT 16:44

वो हसीन दौर अपनी जिंदगी के
इस "virtual" दुनिया मे कही गिरवी रखा है

अब जी के इस दुनिया को ब्याज चुका रहा हु ।।

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7 JAN 2021 AT 17:00

चलते है

जो सपने आज गुमनाम है कही
चलो उनकी जड़ तलाशने चलते है।

परिस्थितिया जो विकट खड़ी है
चलो उनका सार तलाशने चलते है।

समय की आँधी में जो खुशियां अधूरी रह गई
चलो फ़िर उस बेपरवाही को जीने चलते है।

असल रूह जो कही छूट गई
चलो उन यादों को फ़िर लिवाने चलते है ।

चलो फिरसे जीने चलते है ......

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12 DEC 2020 AT 17:30

"इंसान" तो सभी है ...
पर असल "इंसान" आपके लिए कौन है ?
.
.
ज्यादा मायनें रखता है ।।

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27 OCT 2020 AT 14:18

"गाँव की ख़ामोशी"

हर तरफ ख़ामोशी है यहां
हर दिन ख़ामोश है
हर ख्वाब ख़ामोश है
एक ठहराव है सबके जीवन मे
और लोग है ठहरे हुए
और उनमें ठहरते कुछ मासूम ख्वाब
एक सहज लहज़े में कुछ चीख रहे है शायद
गाँव की ख़ामोशी तोड़ना चाहते है शायद ....।।

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22 OCT 2020 AT 12:28

किसी के मरने की वज़ह जायज़ लगने लगे
दिमाग अपने दिल से बगावत करने लगे ।

रश्क़ की आँच रूह जलाने लगे
दिनों के उजाले रात खाने लगे ।
अक्सर...

जब अधूरे इश्क़ का ख्वाब खुद में समानें लगे...।।

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14 OCT 2020 AT 23:39

मन को उदास कर गहन सोच में डूबे रहना क्या सही है ?

एक बात को लेके घण्टों दिमाग और दिल से जंग लड़ना और किसी बात को अपने जीवन के उद्देश्य से ज्यादा तवोज़्ज़ो देंना सही है ?

गर हां !! तो आपका सोचना और उदास रहना बिल्कुल जायज़ है ।।

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10 OCT 2020 AT 12:45

उन मजबूर आँखों में बसें उन सपनों को मेहनत की पगडण्डी पे नंगे पांव मिलों चलते देखना ...

और अंत मिले उस मीठी झील से अपनी प्यास मिटाना ...

सच में !! आँखों को सुक़ून देता है ।।

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5 OCT 2020 AT 22:41

उनके दिए गहरे घाव वो अपने तन पे तलाशता है
हर दिन हवाओ में सुकून का वो घर तलाशता है..

उनकी यादों को समेटने का दौर अब भी जारी है
अजीब इंसान है जख्म में भी उनकी शक़्ल तलाशता है ।।

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