लिखते है सदा उन्ही के लिये, जिन्होंने हमें कभी पढ़ा ही नहीं। - Madhusudan
लिखते है सदा उन्ही के लिये, जिन्होंने हमें कभी पढ़ा ही नहीं।
- Madhusudan