जला कर सम्पत्ति देश की, तुम बुला रहे अपनी बर्बादी को
देश की प्रगति बाधित करके, तुम मांग रहे कैसी आजादी हो
आतंक ही तुम्हारा मज़हब है, तुम मज़हबी आतंकवादी हो
मानवता के विरूद्ध कर्म तुम्हारे, मनुष्य नहीं तुम जिहादी हो
सेना पर पत्थर बरसा कर, अशांत किया कश्मीरी वादी को
अल्पसंख्यक की श्रेणी में तुम, गद्दारों की आबादी हो
न तुम भारत के सपूत हुए, न तुम मेरे भाई हो
मैं आर्यावर्त का हिन्दू हूं, तुम कौम्मी कसाई हो
जागो आर्यों जागो, लेलो हाथ हथियार
जिहाद रहित हो आर्यावर्त, कह रहा आर्यन देव परिहार
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