Mukesh Kumar   (Kumar)
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लफ्जों की उधेड़ बुन से गर मतलब निकल आता है
तो बोलो फिर लिखने में मेरा क्या जाता है
Joined 22 January 2018


लफ्जों की उधेड़ बुन से गर मतलब निकल आता है
तो बोलो फिर लिखने में मेरा क्या जाता है
Joined 22 January 2018
18 OCT 2023 AT 17:02

चंद लोगों का सम्मान
या कुछ बीघा जमीन

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15 OCT 2023 AT 11:47

प्रेम व करुणा से भरा
माँ की ऋणी है
ये सृष्टि ये धरा

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14 OCT 2023 AT 22:47

किसी भी चाहत की
मगर लगने न दूंगा तुझे
किसी अजनबी के दिल से

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14 OCT 2023 AT 16:16

कलम और दवात

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13 OCT 2023 AT 23:15

अंधेरों से यारी करते
छोड़े देते अंधेरों में
जो यारी में गद्दारी करते

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13 OCT 2023 AT 22:07

वक्त पे बात बताई है
समझ गए हम इसके आगे
कोई सफर नही बस खाई है

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9 OCT 2023 AT 22:13

किसी दुखी मन से
बिफरे है यहाँ सभी
अपने अकेलेपन से

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9 OCT 2023 AT 21:04

हमारा काम बन जाएगा
दरियादिलों की फहरिस्त में
तुम्हारा नाम बन जाएगा

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4 OCT 2023 AT 23:02

दरार की बड़ी वजह
इंसान ही भुगतेगा खुद
इन रिश्तों को सजा

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30 SEP 2023 AT 15:40

जिंदगी के यही रंग है

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