कोई हस्ती, कोई मस्ती, कोई चाह पे मरता है, कोई नफ़रत,कोई मोहब्बत, कोई लगाव में मरता है, ये देश है उन दीवानों का , यहाँ पर हर बंदा, अपने हिंदुस्तान पर मरता हैं।— % &
उसे जो जो चाहिए था उसे वो वो मिल गया, मेरी चाहत की चाहत का विचार भी मुझसे छीन गया, पता नहीं कौन से शुभ काम की शुरुआत में मैं छिंक गया, हंजी हंजी बिल्कुल अब सब कुछ ठीक हो गया|
पागल तो मैं पहले से ही था , आपके जाने के बाद और हो रहा हूँ , अकेला तो मैं शुरू से ही था, अब तन्हा हुए जा रहा हूँ , न जाने क्या दुश्मनी की हैं मैंने ऊपर वाले से कि , जी रहा था के नहीं , मालूम नहीं पर मर तो रोज रहा हूँ ।।
बड़े अरमानो से दिया था ये काँच का तोहफा, कितनी मशहकट से आपने सजा दिया, आते जाते चैन से जमीं पर गिरा दिया कितनी खूबसूरती से दिया था ये तोहफा, अब उन टुकड़ो का क्या करोगे तुम लाओ हमें ही दे दो, फिर से शायद इसे जोड़ कर लाऊ कि तुम फिर से तोड़ सको
क्यों हो तुम मुझपर गुस्सा, क्यों हो मुझसे रूठे, अच्छा चलो माना तुम सच्चे हम है झूठे, कब तक छुपाओगे हमसे हो तुम प्यार करते, गुस्सा तो है बहाना दिल से तो हो हम पर ही मरते।