अबकी बार आना तो थोड़ा वक्त भी साथ ले लाना,
कुछ अनसुनी अनकही बातें करनी थी तुमसे,
जो अब न कह पाई तो शायद कभी न कह पाऊंगी,
की कितनी रातें ,कितनी दिन गुजारें है तुम्हारी याद मे,
सुनो!! अबकी बार आना तो थोड़ी शाम भी ले आना,
अब तक वो चाय की प्याली,तुम्हारा इंतज़ार कर रही है,
वो अधूरे खत,जो कभी लिखे थे तुमने मेरे लिए,
वो समुन्द्र का किनारा ,जिसकी सिलवटें आज भी उस बंद कमरें की बिस्तर पर पड़ी है,
इंतज़ार कर रही है तुम्हारा,
सुनो!! इस बार आना तो अपनी दिल में जगह और प्यार लेकर आना ,
कुछ अनसुनी ,अनकही ,दिल की बातें करनी है तुमसे!!
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