अभी खिड़की से बाहर झाँक के देखा...
बारिश आ रही हैं, हल्की सी
और मुझे तुम्हारी याद आ रही हैं, बेहद ज्यादा
कुदरत का ईशारा देख रहे हो ना तुम
हम ने जो शर्त लगाई थी.... 7 मार्च तक की
की ठंडक फिर से होगी.... जाते - जाते
वैसे तुम हार कर भी जीत गए हो
ठंडक हो जाए फिर से... क्योंकि मैं हारते हुए नही देख सकती तुम्हे
बहुत याद आ रही हैं, तुम्हारी.... बहुत ज्यादा
ख़्याल तो आ रहा हैं, कि तुम्हे भी आ रही होगी
और ना भी आये, तो मेरी यादें ही काफी हैं
हमारे लिए !
खैर...,तुम साथ रहो या ना रहो...
तुम मुझ में, मुझसे ज्यादा ही रहोंगे !
08/03/2022 10:33 pm
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