वो लोग जो,,,,, अपनी,,,,, खूबी गिना रहे हैं।
खुद को,,,,,, खुदा से,,,,,, बढ़कर बता रहे हैं।
वो कुछ नहीं जानते अपने बारे में अभी तक,
जो एक हार से घबराकर,,, मुँह छिपा रहे हैं।
लोग मेरी तुलना खुद से करते हैं, बिना जाने,
हम अपने भीतर,,,,, कितना गम दबा रहे हैं।
सड़क पर पड़े, काँच के एक टुकड़े सा हूँ मैं,
लोग देखकर जिसे, थोड़ा बचकर जा रहे हैं।
©jabarjastshayar
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