तुझे याद कर कर के देख मेरी आँखे कितनी नम हैं
तू मुझसे दूर है बस इसी बात का गम है।
तू ममता की मूरत भगवान की सूरत और भी बहुत कुछ
माँ जितना भी लिखूँ तेरे लिए वो सब बहुत कम है।
मेरे हाथों को पकड़कर तूने लिखना सिखाया था न,
देख अब पन्नों पर मैं खुद से कलम चला लेता हूँ माँ।
तेरी याद तो आती है, पर करके बहाने दिल को बहला लेता हूँ माँ।।
- नादान शायर