Harish Nagpal  
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हज़ारों अश्क थे इन आँखों की कैद में, इक तेरी याद आई और इनको रिहाई मिल गई
Joined 25 November 2017


हज़ारों अश्क थे इन आँखों की कैद में, इक तेरी याद आई और इनको रिहाई मिल गई
Joined 25 November 2017
2 JUN 2021 AT 21:26

दिन काफी होता है बातों के लिए
रात होती है ख्वाबों में मुलाकातों के लिए

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13 APR 2021 AT 22:04

लिखूँगा तो तब जब होश में रहूँगा
तेरे इश्क में मदहोश सा रहता हूँ

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11 APR 2021 AT 20:16

बस इतना सा फर्क़ है हमारी मोहब्बत में
वो लफ़्ज़ों से, हम आँखों से बयां करते हैं

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1 APR 2021 AT 21:35

बस गए हो तुम

आंखों में नजर बनकर
दिल की धड़कन बनकर

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29 MAR 2021 AT 10:09

तेरे माथे पर मेरे नाम का गुलाल
काफी है ये बताने को
तू सिर्फ और सिर्फ
मेरी हो चुकी है..दिल से

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24 MAR 2021 AT 0:32

ना निकाह है, ना फेरे हैं
बस एहसास हैं, हम तेरे हैँ

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23 MAR 2021 AT 23:21

तुझसे इस कदर इश्क हो चला है अब
खामोश रहकर भी रू-ब-रू घंटों बात कर सकता हूँ

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23 MAR 2021 AT 17:02

तू एक और सिर्फ एक है
फिर क्यों तुझे हर चहरे में तलाशती है निगाहें

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23 MAR 2021 AT 16:07

जो तस्वीर दिल में बस जाती है,
फिर निगाहें उसको हर तरफ तलाशती है

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23 MAR 2021 AT 12:24

मांगी थी इक दुआ जो कबूल हो गई
पहले क्यों नहीं माँगा तुझको रब से, यही भूल हो गई

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