मुझे मेरी ही तरह पसंद करने लगा है कोई
कोयल सी आवाज़ में बातें करने लगा है कोई
ख्वाबों में मुलाकातें करने लगा है कोई
सारे सहर सारे पहर मेरे नाम करने लगा है कोई
एहसास इश्क़ के फिर से भरने लगा है कोई
खाली पड़े दिल के कमरे में रहने लगा है कोई
मुस्कुराता देख मुस्कुराने लगा है कोई
करारी चाय लबों से पिलाने लगा है कोई ।
- Govind Hersal "Panchi"