कवि की कल्पना तो ये है कि वो सारा शहर घूम आये ,
शहर के हर अनजान कोनो से मुखातिब हो आये ,
कौनसी गली कहाँ से निकल कर किस रास्ते को जाती है और
कौनसा रास्ता चलते हुए गलियों में मुड़ जाता है ।
कवि चाहता है शहर उसे वो दिखाए जो वो ढूंढ रहा है
जैसे एक अच्छी सी चाय की थड़ी ,एक लजीज़ पकवानों से सजा बाज़ार,
एक पार्क जहां लोग खाना पचाने आते हो
और कुछ लोग खाना बेच कर अपने पेट का जुगाड़ करने आते हो,
कुछ ऐसी जगह जहाँ दो लोग बैठ के बात कर सके दुनिया की नजरों में आये बिना ।
हर शहर का भूतकाल होता है ,और वर्तमान शहर को जवान बना रहा होता है
ताकि भविष्य में कोई और कवि आये
तो उसे पहले से ये सब मिल सके जो वो खोजना चाहता है ।
कवि दिन भर के बाद अपने किराए के
कमरे में जाकर अजनबी शहर के बारे में सोचता रहता है
कैसा होता होगा अपने शहर का चांद और आसमान ,
कैसे लोग इश्क़ में शहर हो जाते है और कैसे अजनबी शहर से इश्क़ नही कर पाते ।
-