Er Shakti Parmar   (#Nazmebayaan)
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Instagram-shakti_parmar
Joined 2 April 2018


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27 FEB 2020 AT 0:20

हिंदू मुसलमान एकता ज़िंदाबाद ।

ज़िंदाबाद। ज़िंदाबाद।।

दोनो की प्यारी सी भाईचारा हैं।

आपस में रहते भी साथ हैं, खेलते भी साथ हैं।

और दंगा भी साथ करते हैं, मरते बस बारी बारी हैं।

बहुत ज़बर्दस्त यारी हैं। बहुत तगड़ी यारी हैं।।

कभी शाहीनबाग तो कभी ज़फ़राबाद तो कभी मौत तक की तैयारी हैं।

नेताओं के इशारे पर हम दोनो की घुमती दुनिया सारी हैं ।

बहुत ज़बर्दस्त यारी हैं। बहुत तगड़ी यारी हैं।।

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27 FEB 2020 AT 0:08

एक हो जाओं।। एक हो जाओं।।

आपस में बँटे रहों और एक हो जाओं।

ईश्वर अल्लाह दोनो को अलग अलग गाली दो,

अलग अलग बँटकर आपस में दंगा करो और एक हो जाओं।

हमारे धर्म के नेता जी जो दिखा रहे हैं दिखाओं,

दिमाग़ की बत्ती जलती भी हैं तो बुझाओं।

दंगा करों मगर ज़ुबान पर भाईचारा के गीत गुनगुनाओ।

एक हो जाओं।। एक हो जाओं।।

आपस में बँटे रहों और एक हो जाओं।

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26 FEB 2020 AT 23:54

दिल्ली मेरे देश की राजधानी आज की रात,

सोचती एक बात कि अख़िर क्या हुई मुझे,

आँखिर कैसे बिगड़ी मेरी हालत ।

कोई आपस में लड़ा था तो लड़ता मेरा ये हाल क्यूँ किया,

कहीं मुझे नाले में मारकर फेंक दिया तो कहीं पत्थरों से हमला किया।

मैं तो इस दंगे की भागीदार न था,

फिर क्या भिड़ में कोई एक भी आवाज़ ईमानदार न थी ?

कोई तो कहता कि मैं बेगुनाह हूँ ,

भला मुझे क्यूँ कहीं गोली मार दिया, कहीं चाकुओं से गोद दिया।

मैं तो अपने घर के ज़रूरत का समान लेने गयी थी,

कुछ बुज़ुर्गों, बच्चों, की जीने की अरमान लेने गयी थी।

आख़िर मेरी ख़ता क्या थी, क्यूँ मुझपे टूट पड़े हिंदू-मुस्लिम साथ।

दिल्ली मेरे देश की राजधानी आज की रात,

सोचती एक बात कि अख़िर क्या हुई मुझे,

आँखिर कैसे बिगड़ी मेरी हालत ।



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26 FEB 2020 AT 23:18

ज़िंदा तो हूँ बस जान बाक़ी हैं।

दिल हीं जल गया, मकान बाक़ी हैं।

हमारे कई भाई मारे गए आज।

मगर कोई बात नहीं हिंदू-मुसलमान बाक़ी हैं।

नागरिक मरेंगे एक एक ऐसे आपस में लड़के,

कि जैसे एक सुनसान हिंदुस्तान बाक़ी हैं।

कोई नाले में, कोई सड़क, कोई घर,

मिला आज, मगर दिखा नहीं,

उनके माँ की आँखों में एक शमशान बाक़ी हैं।

गोली चाकुओं से मिटता अब ख़ाकी हैं।

ज़िंदा तो हूँ बस जान बाक़ी हैं।

दिल हीं जल गया, मकान बाक़ी हैं।।


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20 FEB 2020 AT 15:31

कल महाशिवरात्रि हैं, तो, मैं गुप्तेश्वर-महादेव से मिलने चलता हूँ।

दो पल की ज़िंदगी से दूर, दो दिन के लिए गुप्ताधाम चलता हूँ।

जहाँ पहली और आख़िरी बार महाकाल को भाश्मासुर के काल से,

बचाने विष्णु जी मोहिनी-अवतार में अवतरित हुए थे,

वहीं अति प्राचीन शिव के दिव्य पर्वत-गुफा दर्शन को चलता हूँ।

कल महाशिवरात्रि हैं, तो, मैं गुप्तेश्वर-महादेव से, तीसरी बार मिलने चलता हूँ।।

रात भर में 21 km का दुर्गम पहाड़ी पगडंडियों का सफ़र होगा,

विश्वास हैं फिर से इस साल भी महाकाल के आशीर्वाद का असर होगा।

ज़िंदगी को जीत में बदलने की शक्ति माँ पार्वती स्वयं देंगी मुझे,

मेरा काल भी क्या बिगाड़ेगा जब महाकाल वर स्वयं देंगे मुझे।

🙏🙏🙏🙏🙏जय महाकाल 🙏🙏🙏🙏🙏

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20 FEB 2020 AT 13:50

चन्द लम्हों में तेरे सामने होंगे,

ऐ मेरी ज़िंदगी, तू मुझे बाहों में भर लेना,

हम तेरे थे, हैं और तेरे हीं रहेंगे।

इसी जन्म नहीं हर जन्म में,

हम तेरे थे, हैं और तेरे हीं रहेंगे।

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19 FEB 2020 AT 23:48

तुम्हें लिखने की कोशिश मैं सारी सारी रात किया करता हूँ।

मगर हर अगले साम फिर से तुम्हें लिखने की प्यास जगती हैं।

ये बताओं,

मेरी शायरी में तुम आ गए हों या मैं तुमसे मिलकर शायर बन रहा हूँ ?

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19 FEB 2020 AT 23:35

सो गए तुम, अब हम भी सोने चलते हैं,

मेरी जान हम ख्वाबों में आके मिलते हैं।

दुनिया से दूर जहाँ बस हम और तुम होंगे,

सुकून के दो पल होंगे, दिल के जुस्तजूँ होंगे।

बातें करते करते,

मेरे कंधों पर तुम सो जाना,

तुम्हारे कांधों पर हम,

और जब दुनिया जग जाएगी,

सो जाएंगे दोनो हम।

और जब दुनिया जग जाएगी,

सो जाएंगे दोनो हम।।

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19 FEB 2020 AT 23:23

तुम्हारी साँसों में अपनी साँसों को जोड़ दूँ,

तुम्हारी उम्र को सबसे हसीन मोड़ दूँ।

मेरा बस चले तो मैं तुम्हारी उठती पलकों को,

हर बार बस अपनी तरफ मोड़ दूँ।

तुम्हारा हाथ थामूं और बाकी दुनिया पीछे छोड़ दूँ।

और जो हवाँ में उड़ता एक तिनका भी तुम्हारी तरफ आयें,

उसे तुम तक आने से पहले हवाओं में ही तोड़ दूँ।

तुम्हें इतना प्यार करूँ कि, मोहब्बत की कहानियों में,

तुम्हें अमर करके छोड़ दूँ। तुम्हें अमर करके छोड़ दूँ।।

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19 FEB 2020 AT 23:11

तुम भी जगे हों, हम भी जगे हैं।

तुम कहीं और हों, हम कहीं और हैं।

दोनों एक दूसरे को बोल चुके हैं कि,

सो जाओ वर्ना तुम्हारी तबियत खराब हो जाएगी,

मगर हक़ीक़त दोनों दूर से ही महसूस कर रहे हैं कि,

तुम भी जगे हों, हम भी जगे हैं।

तुम भी जगे हों, हम भी जगे हैं।।

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