21 JUN 2018 AT 23:25

तुम लौट भी आओ तो क्या खुश हूं !
खुश हूं भी तो कैसे !
जब मैं - मैं ना रहा हूं !
वैसे खूब तरतीब से खेला !
खेल बदल जाने का !
कुछ तुम बदले !
कुछ मैं बदला हूं !
चलो अच्छी अगुवाई थी !
मैं भी कुछ संभल गया हूं !
इक खेल आकर और खेल लो शतरंज का !
अब मात देने का सिकंदर जो हो गया हूं !

- Thakur Sahab