Deepti G.   (©Deepti G.)
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बस जो ज़िन्दगी ने सिखाया है उसे यूँही शब्दों में ढाल देती हूँ कभी कभी!
Joined 28 October 2017


बस जो ज़िन्दगी ने सिखाया है उसे यूँही शब्दों में ढाल देती हूँ कभी कभी!
Joined 28 October 2017
10 SEP 2021 AT 0:02

AFFIRM: I am ready for this new beginning!

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19 MAY 2021 AT 15:52

Paths of Love and Awakening
are not much about doing,
rather they are about being
chosen. You just get chosen
by the source and your whole
destiny is written accordingly!

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18 MAY 2021 AT 5:01

सुंदर? और मैं?!
मुझ से तो कभी किसी ने ऐसा नहीं कहा था..
मुझे तो यही लगता रहा के मैं कभी किसी को सुंदर नहीं लगी..
जो लोग मायने रखते थे उन्होंने तो सिर्फ़ खामियाँ ही निकाली
और जिन्होंने सराहा वो मेरे लिए मायने ही नहीं रखते थे,
इसलिये कभी किसी की बात दिल तक नहीं पहुँची..
मेरी पहली awakening के बाद मैंने पहली दफा
self acceptance और self love सीखा..
बहुत खुश थी मैं अपने साथ, अपने होने से..
हाँ मगर सूरत से ख़ूबसूरत तो खुद को तब भी नहीं लगी थी मैं..
और फ़िर 2 लोगों की निःशब्द आवाज़ मेरे दिल तक पहुँच गयी..
पहले उसकी जिसके पास शायद मेरी ही आँखें हैं और फ़िर
मेरी खुद की क्योंकि मैंने उस से उसकी आँखें मांग ली थीं!
बस इतना काफी है..
self admiration से बड़ी कोई तारीफ नहीं होती..
उस के कारण मैंने ये हुनर सीख लिया!
और आज जब सारी दुनिया मेरी ख़ूबसूरती की तारीफ
करती है तो भी मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता क्योंकि अब मैं
खुद ही अपनी तारीफ़ करके इतराती रहती हूँ!

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30 APR 2021 AT 18:21

वो हमसे बात करें ना करें
हमे क्या मतलब,
हम तो उनसे ढेर सारी
inspiration चुरा कर
शायरी लिख लेते हैं!

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30 APR 2021 AT 2:57

अजीब ही रिवाज़ हैं उसके यहाँ..
वफ़ा दिखाओ तो पागल हो,
समझदारी दिखाओ तो बेवफ़ा हो!

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29 APR 2021 AT 22:51

बहुत प्यारी हो तुम,
और मैं इसी सदमे में हूँ!

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29 APR 2021 AT 13:06

लगते होंगे आपको हम दो,
मुझे तो एक ही लगते हैं!

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29 APR 2021 AT 4:20

हाँ सो जाती हूँ मैं भी
कभी कभी किसी रात..
और उस रात ऐसा लगता है
जैसे एक अरसे की तड़पती
नींद आज पूरी हुई है!

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28 APR 2021 AT 16:05

सब तुम्हारी मेहरबानी है!

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27 APR 2021 AT 4:46

मुझे खुद से अलग मत समझना,
तुम्हारे ही जैसी हूँ मैं..
जैसे तुमने कभी किसी की
ओर नहीं देखा, मैंने भी नहीं देखा..
जैसे तुमने कभी किसी को नहीं
चाहा, मैंने भी नहीं चाहा..
जैसे तुम अनजाने में सिर्फ़
मेरा ही इंतज़ार करते रहे,
मैं भी अनजाने में सिर्फ़
तुम्हारा ही इंतज़ार करती रही..
जैसे तुम अब मुझे भूल नहीं
सकते, मैं भी किसी भी जन्म
में तुम्हे भुला नहीं सकती..
मुझे खुद से अलग मत समझना,
तुम्हारे ही जैसी हूँ मैं!

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