Deeksha Garg   (Deeksha Garg)
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Joined 21 January 2018


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Joined 21 January 2018
27 OCT 2022 AT 20:37

बाबा त्यौहार वही है,
रोशनी वही है,
रंगते वही है,
बस अब वो रोनक नहीं रही,
बस हम अब वो नहीं रहे,
बाबा बस अब आप साथ नहीं रहे

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4 AUG 2021 AT 3:40

उसने मुझे अपनी बातों से अपने इलजामों से मारा है,
पर उसे मेरी खामोशी बर्बाद कर गयी.

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26 JUL 2021 AT 13:06

कहो कैसा है बरबादियो का मंजर ,
सुना है खुद को आंसुओं में डूबो बेठे हो,
मेरे हर एक आह का जवाब देना होगा तुम्हे ,
मेरे हर जख्म का बदला देना होगा तुम्हे
कहो कैसा है बरबादियो का मंजर.

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24 JUN 2021 AT 15:26

मन का द्वन्द है ये,
ना कहा जाये ना सुना जाये.

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28 JUL 2020 AT 23:56

वो बात कहाँ अब इस इश्क में
उसको ये मोहब्बत अब पुरानी जो लगती है

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28 JUL 2020 AT 23:41

भीड़ में भी वो तन्हा ही रहा
शोर में भी वो खामोश ही रहा
गेरो में अपनो को ढूंडता
वो ज़माने का अपना पर
खुद से अंजान ही रहा.

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20 MAY 2020 AT 13:41

जाने किस नशे में वो ज़िन्दगी गुजार रहे थे
अहंकार में डूबे एक उम्र बिता रहे थे,
खामोशी से आयी और चुपके से ले गई,
ये मौत है साहब ना मेरी ना तेरी.

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19 APR 2020 AT 1:35

अक्सर ढूंडा करता है वो मुझे निंदो में
चादर ओढ़ फिर लिपट कर सो जाता है.

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19 APR 2020 AT 1:14

बहुत रुमानी सी है वो
शाम में बेहती तेज हवा जैसी,
बारिश की ठंडी बुंदो जैसी
सर्द रातों में आग की तपिश जैसी,
मेरी पेहली मोहब्बत है वो
बहुत रुमानी सी है वो.

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8 MAR 2020 AT 20:45

सुना हैं बहुत बेचेंन हैं वो
अभी कहाँ बरबादियों का मौसम शुरू हुआ हैं

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