मैं मंजिल का नहीं रास्तों का मुसाफिर हूं।
आज इस राह तो कल उस राह पर चलता जाऊंगा।
क्योंकि मुझे उस मंजिल की फिक्र नहीं मुझे रास्तों की परवाह है ।
मंजिल पाने पर तो मैं रुक जाऊगा ।
रास्ता पाने पर तो फिर निकल जाऊंगा ।
क्योंकि मैं मंजिल का नहीं रास्तो का मुसाफिर हू।
- Brajesh yadav ✍️©