मेरे यार तेरे बिना मेरी कोई खुशी कामिल नहीं होती मेरे यार तेरे बिना कोई महफिल महफिल नहीं होती माना जिंदगी में बहुत ज़रूरी है मोहब्बत सनम की मगर ये जिंदगी तेरे बिना भी मुकम्मल नहीं होती
ये दिल जाने रोज कितनी बार टूट जाता है ये दिल जाने रोज कितनी बार चोट खाता है पर सीख लिया हमने खुद पर मरहम लगाना तभी हर रोज टूट जाने के लिए मुस्कुराता है
हर किसी के बस का नहीं मुझ जैसा बन पाना मैं पंख पसार लूं अपने तो भी गैर है ये ज़माना और अगर खामोश रहूं तो भी मैं अकेला बेगाना बस मस्त रहूं आज में कल क्या हो किसने जाना