Bhakti Choubey   (~~Bhakti~~(लफ्ज़))
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मुस्कुराती जिंदगी से कुछ मसला हैं मेरा
शायद खूबसूरत लगती है , चुभती तन्हा राते
Joined 26 August 2017


मुस्कुराती जिंदगी से कुछ मसला हैं मेरा
शायद खूबसूरत लगती है , चुभती तन्हा राते
Joined 26 August 2017
20 JUN 2022 AT 9:44

जब सामने तुमहारे माटी का मान हो
चाह बस कि तिरंगे को समार्पित जान हो
जो यज्ञ देशप्रेम और आहूति प्राण हो
जो मातृभूमि ही धर्म और वहीं ईमान हो

ऐसी हर सोच को शत शत प्रणाम हो..

तो कैसे आज ये सवाल मन में मेरे आया
जो देखा देश प्रेम ने, देश ही जलाया
ये हो नहीं सकता मेरी रूह चीखती
अन्याय पर ए वीरों, कैसा कदम उठाया

जिस आवाम का तुम मान हो
जिस जनता का सम्मान हो
विरोध की आंधी में, उन्हीं को ही डराया
अरे... धू धू कर कैसे मातृभूमि को जलाया

जो चाहते तो गाँधी की तरह लड़ते
जो चाहते तो आवाम के दर्द को समझते
समझते की जहाँ आग तुमने है लगाई
किसी की माँ किसी की बेटी, होगी कितनी सहमाई

जिस मन में बस देश और देश का ही ख्वाब हो
उनसे है सवाल ये भूल मेरी माफ़ हो

कि एक अन्याय ने क्या इतना तुम्हें सताया?
आवाम का क्या दोष, तुम्हारे जहन में ना आया
क्या खौफजदा आँखे मासूमों की नज़र न आई?
क्या देश से बढ़ कर अपना ग़ुस्सा तुमने पाया?

तुम शान हो देश की देश का सम्मान हो
तुमसे है ये सवाल भूल मेरी माफ़ हो

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7 SEP 2021 AT 12:13

हद से ज्यादा उम्मीदे रिश्ते को
बोझ बना देती है
औऱ
हद से ज्यादा शिकायत प्रेम को
रोष बना देती है

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3 SEP 2021 AT 15:07

बहुत आसानी से पार कर जाते है लोग
Everything से Nothing तक का सफर

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30 AUG 2021 AT 22:40

आज फिर मेरे बेतुके सवाल
और तुम्हारी ख़ामोशी के साथ
जिंदगी का एक ओर दिन गुज़र गया...

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27 AUG 2021 AT 10:03

झूठ, फरेब लोगों की आदत हो जाती है
पर वो क्या जाने
उनके हर झूठ की हमें आहट हो जाती है

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31 JUL 2021 AT 10:42

जब वो तेरी जरूरत में तेरे पास नहीं
जब उसे तेरे अश्क़ों का एहसास नहीं
तेरे रूठ जाने पर भी बेफ़िक्रा वो
जब उसे तेरी ख़ामोशी से एतराज़ नहीं

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तो कह दे खुद से बेशर्म की तरह
कि अब उसकी बातों पर एतबार नहीं
अब उसके साथ को तू तलबगार नहीं

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25 JUL 2021 AT 10:44

जिंदगी का हाल कुछ इस तरह है।

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आजकल वो उन्हें लिखा करतें है,
और हम इन्हें पढ़ा करतें है।

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27 JUN 2021 AT 22:26

बदल गए है वो,
ये जान कर भी हम सम्हल जायेगे
बातें बना देते है वो,
ये सोच की हम बहल जायेगे
बेरुखी का ज़हर जो हमें नजर
यक़ीनन हम इसे भी निगल जायेगे

एक बात कहते है आज तुमसे
थोड़ा ही सही पर वक्त लगेगा,
और लम्हा लम्हा हम भी बदल जायेगे
तुम्हारी ही तरह
हम भी बदल जायेगे......

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16 JUN 2021 AT 20:29

वो अब उस जैसी नहीं लगती...

वो सजती भी है कुछ अधूरी सी
उसकी हाँ में दिखे नामंजूरी सी
वो बुझी बुझी सी लो बन गई
जो कल तक थी मगरूरी सी

सूरत तो अब भी वही है
बस सीरत से ,वैसी नही लगती
वो अब उस जैसी नहीं लगती..

तक़दीर का इस सच से इनकार
अक़्स उसका उसी से बेज़ार
चीखती तो होगी रूह उसकी भी
रही अनसुनी सी उसकी पुकार

अपने वजूद से अजनबी सी है
वो अब उस जैसी नहीं लगती,
जाने क्यों वो अब उस जैसी नहीं लगती...

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14 JUN 2021 AT 17:36

एक वक्त बाद....
ना शिकायतें,
ना ख्वाहिशें,
ना अश्क़,
ना मुस्कुराहटें।

बस तुम और खामोशी।

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