25 FEB 2018 AT 1:34

मोहब्बत एक मंज़िल है ,और हम सब एक मुसाफिर ,मंज़िल की तलाश में हम कई अनजान राह से गुजरते है ,कुछ पल ठहरते है फिर उसी अनजान राह से मंजिल का पता पूछते है !

- बलराम कश्यप