ये आँखे!दर्द का बयान,दो ज़ुबानों में सुनाती हैं,बदन में बढ़ जाए तो मिच जाती हैं,ज़हन में बढ़ जाए तो खुल जाती हैं।। - Aviral Jain
ये आँखे!दर्द का बयान,दो ज़ुबानों में सुनाती हैं,बदन में बढ़ जाए तो मिच जाती हैं,ज़हन में बढ़ जाए तो खुल जाती हैं।।
- Aviral Jain