मिलता हूँ रोज उनसे.बातें भी खूब होती हैं .पर ना जाने क्यों ,उन मुलाकतों में कुछ कमी सी रहती है .ये सपने है साहब,आखिर इनकी भी एक लिमिट होती है . - Avinash ke 'अल्फ़ाज'
मिलता हूँ रोज उनसे.बातें भी खूब होती हैं .पर ना जाने क्यों ,उन मुलाकतों में कुछ कमी सी रहती है .ये सपने है साहब,आखिर इनकी भी एक लिमिट होती है .
- Avinash ke 'अल्फ़ाज'