21 JAN 2018 AT 22:35

मिलता हूँ रोज उनसे.
बातें भी खूब होती हैं .
पर ना जाने क्यों ,
उन मुलाकतों में कुछ कमी सी रहती है .
ये सपने है साहब,
आखिर इनकी भी एक लिमिट होती है .

- Avinash ke 'अल्फ़ाज'