Apurva   (Apurva..)
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Joined 12 April 2018


Joined 12 April 2018
20 JAN AT 19:08

सुन लिया करो कभी,
चाँद भी कुछ कहता है,
दूर कहीं अकेला,
गुमसुम सा जो रहता है..

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3 NOV 2023 AT 9:44

आसां है कितना किसी का अरमान हो जाना,
मुश्किल है तो बस किसी का चाँद हो जाना..

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30 MAR 2022 AT 23:40

ज़रूरी होती है,
महफ़िल से कहीं दूर,
खुद से पूरी होती है,
आसरा खुद का खुद को,
सुहाने लगता है,
कोई पास ना भी हो,
ये भी भाने लगता है,
मेरे लिए काफी हूं मैं,
बात समझ आने लगती है,
धीरे धीरे एक दिन,
तनहाई भी रास आने लगती है...

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26 MAR 2022 AT 12:53

आजकल सब सूना सूना सा है,
या शायद...
मेलों के बाद..
ऐसा ही लगता है..

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19 JAN 2022 AT 19:35

वक्त गुजरता रहा बिना कुछ कहे सुने,
वो दोनों एक दूजे से अछूते ही रह गए..

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7 DEC 2021 AT 8:29

वक्त शख़्स को यूं चुरा ले जाता है,
हम हाथ मलते रह जाते हैं,वो दूर निकला जाता है,
परछाई तक नहीं मिलती,बस याद रह जाती है,
जो मरते दम तक रह रहकर रुलाती है,

वो है तो नहीं,पर है यहीं कहीं,
भ्रम ही सही,बना रहे हर घड़ी,
होता होगा शायद उस ओर कोई जहां,
हमारा जहां तो उजड़ा नज़र आता है...

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26 OCT 2021 AT 13:25

ज़िंदगी जी.. तो कम पड़ गई,
गुज़ारी तो लंबी लगी,
कटी तो भारी लगी,
जाने लगी तो छोटी सी...

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8 SEP 2021 AT 1:31

दरवाज़ा ना बंद सा ना खुला सा,
दस्तक ना अंदर से मुमकिन है ना बाहर से..

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3 SEP 2021 AT 12:11

बात होते होते रह जाती है,
लगता है जैसे हर बार ट्रेन छूट जाती है..

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1 SEP 2021 AT 17:57

उसे थोड़ा ज्यादा क्या जान लिया,
कमबख्त अनजान ही हो गई...

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