वक्त शख़्स को यूं चुरा ले जाता है,
हम हाथ मलते रह जाते हैं,वो दूर निकला जाता है,
परछाई तक नहीं मिलती,बस याद रह जाती है,
जो मरते दम तक रह रहकर रुलाती है,
वो है तो नहीं,पर है यहीं कहीं,
भ्रम ही सही,बना रहे हर घड़ी,
होता होगा शायद उस ओर कोई जहां,
हमारा जहां तो उजड़ा नज़र आता है...
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