17 MAR 2018 AT 0:25

लोग कहते हैं मैं अपने आप पे लिखती हूं
उन्हें क्या पता मैं दुनिया के जज्बात पर लिखती हूं

कुछ लोग हैं यहां जो सिर्फ मतलब के लिए जीते हैं
मैं तो बस उनकी फितरत पे लिखती हूं

लोग जिन्दगी को रो रो कर जीते हैं
मैं तो बस जीने के तरीके को लिखती हूं

वो प्यार का दावा कर जो मां-बाप को छोड़ते हैं
मैं तो बस उस प्यार के मज़ाक पर लिखती हूं

अपने मां-बाप के ख्वाबों को सुनती हूं
तो बस उनको ही थोड़ा सज़ा कर लिखती हूं...

- Ankita Pandey