जरा ए-वक्त तू जल्दी गुजर और रात होने दे
मेरे ख़्वाबों की महफ़िल की हसीं शुरूआत होने दे
मोहब्बत आयेगी मिलने हवाएँ साज़ होने दे
मधुर संगीत की मद्धम कोई आवाज़ होने दे
के उनकी शान में देखो कमी ना कोई रह जाये
सितारों की मेरे दर पर खुली बरसात होने दे
परी सी बन के वो निकले तो फीका चाँद लगता है
चरागों की जवानी में गज़ब की आँच होने दे
के लब यूँ सुर्ख़ है उनके गुलों की है वो शहज़ादी
गुलाबों को अभी गहरा हया से लाल होने दे
ख़बर ये आईने को दो के जब वो सामने आये
चटक कर टूट ना जाये ना अपने होश खोने दे
उन्हें मैं देख लू जी भर के जी भरता नहीं फिर भी
ठहर जाओ यही पूरे मेरे कुछ ख़्वाब होने दो
सुबह को इत्तिला कर दो वो हमसे ना मुख़ातिब हो
मेरी हर रात पर फिर से चलो इक रात होने दो
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