10 JUL 2018 AT 22:51

करने को तो बहोत कुछ कर सकते थे हम,
मगर इजाजत-ए-हालात वैसे बने नही.
जिस मंज़िल का ज़िक्र आखिर तक हम करते रहे,
उस मंज़िल के राही हम कभी बने नही

- Ajwriter45