करने को तो बहोत कुछ कर सकते थे हम,मगर इजाजत-ए-हालात वैसे बने नही.जिस मंज़िल का ज़िक्र आखिर तक हम करते रहे,उस मंज़िल के राही हम कभी बने नही - Ajwriter45
करने को तो बहोत कुछ कर सकते थे हम,मगर इजाजत-ए-हालात वैसे बने नही.जिस मंज़िल का ज़िक्र आखिर तक हम करते रहे,उस मंज़िल के राही हम कभी बने नही
- Ajwriter45