दिल अब कही भी लगता है नही, करे क्या,
चलो किसी हरे भरे पेड़ से कूदकर मरे क्या,
यू तो है सवाल मेरे जेहन में भी कई सारे,
पर चल आज तेरे प्रश्नों को हल करे क्या।
पक्षी लौट आये है दोबारा उस बड़े पेड़ पर,
चलो आज उनकी तबियत पूछने चले क्या।
कोयले कू दे रही हैं उस आम के बाग में कहीं,
चलो उस बाग के माली से चलकर मिले क्या।
पत्ते खूब हिल रहे है उस पीपल के पेड़ के भी,
चलो आज उस पेड़ नीचे की हवा चखे क्या।
जामुन के पेड़ भी है आजकल मदमस्त बड़े,
हालचाल उनका भी रोज ले लिया करे क्या।
गुलाबों के पौधे भी हो रहे है पड़ोस में बड़े,
उनसे उनके फूलों की खूबियां बयाँ करे क्या।
गुड़हल ये देखकर नाराजगी जाहिर करेगा ही,
चलो आज उसकी भी नाराजगी दूर करे क्या।
ये जो आग का गोला है जिसे सूरज कहते है,
सबकी ओर से इसका शुक्रिया अदा करे क्या।
ये जो हवा चल रही है बड़ी ही सुहानी सी,
इसके उपकार की चर्चा जन जन से करे क्या।
दिल अब लग रहा है सब जगह बेइंतिहा,
चलो किसी हरे भरे पेड़ पर बैठकर पढ़े क्या।
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