Adv. Amit Kumar   (©"kumar" AMIT✍)
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Joined 24 April 2018


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7 JUL 2023 AT 19:12

प्रेम उस तरंग का नाम है जो आपके अंतिम क्षणों में भी आपके साथ रहे। यही रब्ब है ....

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28 JAN 2023 AT 19:43

जिंदगी भी सरकारी नौकरी की तरह ही है
मिल गई तो छोड़ पाना अत्यंत मुश्किल हो जाता है।

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27 JUN 2022 AT 21:31

सब मैं हूँ सब तू है सब हम है,
और बता चाचा तुझे क्या गम है
सब हो रहा है तेरे मुताबिक ,
मुझसे पूछ रहा है क्या कम है।

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11 AUG 2021 AT 8:06

फिर वही अजीब से मुकाम पर आए है,
जाने किस बनिये की दुकान पर आए है,
सौदा रदद् होगा या पट जाएगा अबके
क्योंकि हम कुछ सच जबान पर लाये है।

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10 AUG 2021 AT 16:05

अब ना मैं वो हूँ, ना बाकी हैं ज़माने मेरे,
फिर भी मशहूर हैं, शहरों में फ़साने मेरे।
जिंदगी हैं तो नए जख्म भी लग जायेंगे,
अब भी बाकी हैं कई दोस्त पुराने मेरे।

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8 AUG 2021 AT 12:11

कुछ अंदर से राम होते है कुछ बाहर से राम होते है,
रावणों के भी कमोबेस कुछ ऐसे ही हाल होते है,
बचना दोनों से ही पड़ता है इस काले युग मे तो,
क्योंकि आज के युग में मुश्किल से हनुमान होते है।

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27 JUL 2021 AT 15:13

दिल अब कही भी लगता है नही, करे क्या,
चलो किसी हरे भरे पेड़ से कूदकर मरे क्या,
गुलाबों के पौधे भी हो रहे है पड़ोस में बड़े,
उनसे उनके फूलों की खूबियां बयाँ करे क्या।

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27 JUL 2021 AT 15:10

कभी कभी आपका सपना दूसरों का सपना पूरा करना होता है।

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13 JUL 2021 AT 13:47

दिल अब कही भी लगता है नही, करे क्या,
चलो किसी हरे भरे पेड़ से कूदकर मरे क्या,
यू तो है सवाल मेरे जेहन में भी कई सारे,
पर चल आज तेरे प्रश्नों को हल करे क्या।
पक्षी लौट आये है दोबारा उस बड़े पेड़ पर,
चलो आज उनकी तबियत पूछने चले क्या।
कोयले कू दे रही हैं उस आम के बाग में कहीं,
चलो उस बाग के माली से चलकर मिले क्या।
पत्ते खूब हिल रहे है उस पीपल के पेड़ के भी,
चलो आज उस पेड़ नीचे की हवा चखे क्या।
जामुन के पेड़ भी है आजकल मदमस्त बड़े,
हालचाल उनका भी रोज ले लिया करे क्या।
गुलाबों के पौधे भी हो रहे है पड़ोस में बड़े,
उनसे उनके फूलों की खूबियां बयाँ करे क्या।
गुड़हल ये देखकर नाराजगी जाहिर करेगा ही,
चलो आज उसकी भी नाराजगी दूर करे क्या।
ये जो आग का गोला है जिसे सूरज कहते है,
सबकी ओर से इसका शुक्रिया अदा करे क्या।
ये जो हवा चल रही है बड़ी ही सुहानी सी,
इसके उपकार की चर्चा जन जन से करे क्या।
दिल अब लग रहा है सब जगह बेइंतिहा,
चलो किसी हरे भरे पेड़ पर बैठकर पढ़े क्या।

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13 JUL 2021 AT 0:10

ऐसा कुछ हुआ है साथ मेरे यारो,
लगा है कुछ तो हाथ मेरे यारो,
एक बिंदु है कुछ किरणें है,
जो रहते सबके पास मेरे यारो।

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