करना चाहते कया थेऔर कर क्या बैठे हम,जो रिश्ता बनाना चाहते थेवहीं रिश्ता तोड़ बैठे हम,मंज़िल-ए-मुस्कान तो दूर हो ही गईग़म को हमसफ़र बना बैठे हम। - Abrar Maniyar
करना चाहते कया थेऔर कर क्या बैठे हम,जो रिश्ता बनाना चाहते थेवहीं रिश्ता तोड़ बैठे हम,मंज़िल-ए-मुस्कान तो दूर हो ही गईग़म को हमसफ़र बना बैठे हम।
- Abrar Maniyar