Abhishek Tiwari   (तिवारी गोरखपुरिया)
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Joined 8 December 2017


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11 OCT 2023 AT 19:31

देर रत जब लौट रहा हूं ऑफिस से, मन मेरे मजबूरी पर हस कर कहता है।।
खुद के तू आजाद बताया करता था, अब क्यों भीड़ का हिस्सा होकर बहता है।।

अपने माफिक समय को तू चलवा देगा, मजबूरी को दूर बताया करता था।।
अपने मन के बच्चें वाले दामन मैं, छिप छिप कर कई राज बनाया करता था।।
तन्हाई पर कविता लिखता, मुक्तक लिखना निज भावो पर।
और तिवारी गीते लिखना हसरत भरी निगाहों पर।।
मौन तिवारी बस मुझको इतना बतला दे, शब्दों में अभी तो क्या जिंदा रहता है।।
देर रत जब लौट रहा हूं ऑफिस से, मन मेरे मजबूरी पर हस कर कहता है।।

तिवारी गोरखपुरिया





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5 OCT 2023 AT 9:25

गोकुल मथुरा वृंदावन की, गली गली के नाम कृष्ण है।
बृज की गोपन संग में कान्हा, गोकुल वाले धाम कृष्ण है।।
कान्हा की भक्ति और प्रेम में, इतना ही बस अंतर है,
राधा के अधिकार कृष्ण और मीरा के भगवान कृष्ण है।।

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3 OCT 2023 AT 11:22

तुम्हारी याद को मैने, यूंही सरेआम कर डाला।
गजल महफ़िल में, जब मैने तुम्हारे नाम कर डाला।।
मैने वही सुनाई थी, जो हमारे साथ गुजरी थी,
कहा महफ़िल ये शायर ने, गजब का काम कर डाला।।

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28 SEP 2023 AT 9:01

सोच रहा हूं गले लगाऊं, आंखों पर चुंबन कर जाऊं,
अगले पल आभास हुआ है, वह तो मेरे पास नहीं है।

अपने कंधे सर रख करके, बालों को पल पल सहलाऊ,
हाथ रखूं हाथों पर तेरे, और उसे देखूं, मुस्काऊ।।
उंगली का स्पर्श प्रियतमे, भाव में हलचल करता है।
बैरागी सन्यासी मन फिर, आलिंगन का जिद करता है।।
होठों को स्पर्श करूं मैं, गर्दन से तकरार करूं,
कानों के कुंडल से छेडू, मन मैं अर्पण कर जाऊं,
आंख खुली आभास हुआ है, जीवन में प्रकाश नहीं है।।
सोच रहा हूं गले लगाऊं, आंखों पर चुंबन कर जाऊं,
अगले पल आभास हुआ है, वह तो मेरे पास नहीं है।।

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21 SEP 2023 AT 9:19

जीवन मेरा मरुस्थल है,चलते हैं फिर ठेके पर।।
अंतर्मन में कोलाहल है, चलते हैं फिर ठेके पर।
धोखा अपने से खाया हूं, तुम भी मेरे पास नही,
मन रोए आंखों में जल है, चलते हैं फिर ठेके पर।।

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10 SEP 2023 AT 8:13

पत्तो को पानी से मिलते, आज सुबह मैंने देखा है।

साल 18 उम्र बूंद की, अभी नजाकत भरी जवानी।
पत्ता उसको छेड़ रहा है, जब भी बरसे भादो पानी।।
पत्तो ने फरमाईस की है, सुनो हवाएं धीमे चलना।
अभी हमारा आलिंगन हैं, बाकी है अभी चुम्बन करना।।
पत्तो के उस ह्रदय वक्ष पर, बूंदे आंख भिगोए बैठी,
दोनो के चेहरे हैं खिलते, आंखो में प्यासी रेखा है।
पत्तो को पानी से मिलते, आज सुबह मैंने देखा है।

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8 SEP 2023 AT 9:31

गैरो पर अधिकार जमाना सीख लिया है,
मैंने भी व्यापार चलाना सीख लिया है।
और मेरा मकसद सिर्फ तुम्हे भटकाना है,
तिनके को तलवार बताना सीख लिया है।
आका जो भी बोलेगा ,मैं पेश करूंगा,
अंधा बनकर, राह दिखाना सीख लिया है।
और समय देखकर मुद्दों में भटका दुंगा,
खबरो की दुकान चलाना सीख लिया है।

Dedicated to Indian News Anchor

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24 MAR 2023 AT 20:50

सितारे को करीब रखा है, चांद का इरादा क्या है
खुद से रुकसत करेगा शायद?, चांद का अगला प्यादा क्या हैं।

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13 FEB 2023 AT 13:34

मायानगरी से निकले थे, दिल्ली की कुछ वक्त बिताया।
हजरत आगे करी इबादत, छोले कुलचे छक कर खाया।।
हरियाणा और कुरुकचेत्र की चाय की गर्माहट लेते।
पहुच गए हम मस्त मनाली, पर्वत, झील की आहट लेते।।
शोलांग की वादी मैं, हम बच्चो जैसे खेल रहे थे।
मनीकरण की वादी में, हम बारिश की झेल रहे थे।।
गुरुद्वारा का गर्म कुंड, ओर कुफरी में बर्फ की बारिश।
शिमला के कपड़ो की दुकाने, होटल में जगने की साजिश।।
चंडीगढ़ का रॉक गार्डेन, दिल्ली की मुगलई खाना।
पर अब वापस जाना होगा, नही है कोई ओर बहाना।।
फिर से दिल लहमात खो गया, सफर हमारा खत्म हो गया।।

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21 JUN 2022 AT 11:32

योग ज्ञान है, योग हैं सास्वत, जीवन की नई आशा।
योग है उर्जा, योग जागृति, योग सनातन भाषा।।
धरती, अम्बर, अग्नि, वायु, से जब जल मिलता है।
तभी पुष्प रूपी देह मनुज का, पूर्ण रूप से खिलता है।।
योग इन्हीं पांचों तत्वों से, हमें कराता आलिंगन है।
योग शांत चित्त, और है चिंतन, योग हमारा जीवन है।।

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