Abha Jain   (©Abha Jain "मश्क़")
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Joined 5 January 2018


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Joined 5 January 2018
29 JUN 2022 AT 11:13

जिंदगी के किसी भी मोड़ पर अगर तुम्हे किसी से भी बहुत ज़्यादा लगाव हो जाए तो इसका मतलब ये नही है की वो इंसान ताउम्र तुम्हे उतना ही प्यार करेगा। इसलिए किसी से भी कोई अपेक्षा न रखें। वरना दुःख आपको ही होगा। क्योंकि परिवर्तन संसार का नियम है।

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12 APR 2022 AT 17:04

People close to you mostly feel jealous to see you growing higher because of their insecurity & fear.
They praise you on your face but criticise you on your back.

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8 MAR 2022 AT 23:32

बेटी के जन्म पर रोकर दुःख मानते हुए, बेटा हो जाए, ये लगे दुआएं मांगने।
बेटे वंश चलाएंगे, बेटियां एक दिन चली जाएंगी, संबंधी लगे ताने मारने।
एक तरफ बेटियों को नवरात्रि पर देवियों जैसे पूजा
और फिर लगे उनको दुत्कारने।
ये भी नहीं सोचा की बेटे-बेटी दोनों को जन्म दिया है, एक ही मां बाप ने।
जन्म लेते ही ठप्पा लगा दिया, पराया धन होने का संसार ने।
ये घर तुम्हारे पति का है, शादी के बाद ये कह दिया ससुराल ने।
कौनसा घर मेरा अपना है? ये पूछने के लिए भगवान को लगी पुकारने।
इच्छाएं तो बहुत कुछ करने की थी दिल में, पर खुद ही अपना वजूद लगी नकारने।
कभी उठने लगी, तो गिरा दिया पुरुष के अभिमान ने।
पर नारी तो शक्ति है, ये भुला दिया उलाहनों के अंधकार ने।
औरत भी क्या करे, बहुत बोझ डाला है लड़की होने का समाज ने।
माना की जिम्मेदारियां बहुत देकर भेजा है भगवान ने।
पर अपना अस्तित्व कुछ नहीं, ये क्यों लगी हो मानने।
चलो उठो और भर लो एक नया जोश, थोड़ा तो लगो खुद को पहचानने।
बहुत सी नारियों को पहुंचाया है अपने लक्ष्य के करीब, इसी अटूट विश्वास ने।

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27 JAN 2022 AT 0:09

आज भी शायद उसकी तलब है मन को।
बस एहसास शामिल नहीं हैं इस कशिश में।— % &

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22 JAN 2022 AT 2:36

सुनो! कुछ ऐसे हैं "मेरे जज़्बाती एहसास ",
कभी दिल से उदास, कभी किताबों का राज़।
कभी चुलबुले बदमाश, सताने से नही आते बाज़।
कभी करती मैं इन पर नाज़, निराला है इनका अंदाज़।कभी मेरे लबों का साज़, कभी हैं "ख़ामोश अल्फाज़ "।

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14 JAN 2022 AT 19:38

अगर आपका दिल सच्चा और साफ़ हैं फिर भी आप तन्हा रह जाते हैं,
तो इसका मतलब है आप किसी को नही खोते,
लोग आपको खो देते हैं।

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14 JAN 2022 AT 19:21

लोग आपको समझ नही पाते,
तो यकीन मानिए,
इसमें आपकी नहीं,
लोगों की गलती है।

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11 JAN 2022 AT 8:40

इश्क़ में हर दिल को
रोते देखा है,
क्योंकि बेवफाई तो
आजकल आम ही है।😥
तुम जिसे छू लो
और वो तुम्हारा हो जाए,
ये वफ़ा तो बस
कॉरोना के पास ही है। 😜

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3 JAN 2022 AT 23:50

"प्रश्न चिन्ह"
नए साल के लिए इतनी खुशी क्यूं?
नववर्ष में क्या बदला है?
सिर्फ तारीख ही न !
दिन तो अभी भी वही हैं।
वैसे ही भागदौड़ वाले।
वही घबराहट है मन में,
वही बेचैनी है।
कहीं कोविड की तीसरी लहर आ गई तो?
कहीं दूसरी लहर की तरह तांडव हो गया तो?
क्या सुकून आया है ?
फिर नया साल क्या लाया है?
हां शायद एक उम्मीद,
पहले से बेहतर जिंदगी जीने की।
जो पिछले साल में नही कर सके उसे नए साल में कर लेने की।
जो गलतियां हमने बीते हुए दिनों में कर दी उन्हें पुनः नही दोहराने की।
पर क्या कोई उसके लिए कोशिश कर रहा है?
फिर क्या वो सबके प्रयासों के बिना संभव है?
नहीं, कतई नहीं।
तो फिर क्या बदला है इस नए साल में?
आखिर इतनी खुशी क्यूं?
सही मायने में खुशियां तभी मानना,
जब तुम खुद की कमियों को पूरी तरह खत्म करके खुद को सही ठहराना।
अगर नहीं बदल सके खुद की आदतों को तो कोई फायदा नहीं खुशियां मनाने का।
ये 2022 भी 2021 के जैसे ही निकल जायेगा,
क्योंकि बिना खुद को बदले समाज, राज्य और देश में कैसे बदलाव आएगा?



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1 DEC 2021 AT 1:20

आज थोड़ा सा है ख़ास
वो दोनो मिले और आ गए एक दूजे के पास।
बंध गए एक नए रिश्ते में,
आज ही के दिन लेकर फेरे सात।
हज़ार बार झगड़ कर,
फिर प्यार से थाम लिया एक दूजे का हाथ।
बीस बरस कैसे बीत गए,
बांधकर उम्मीदों की आस।
जिम्मेदारियों का बोझ कंधों पर लेकर
बस चलते रहे एक दूजे के साथ।
हम दो हमारे दो का लेबल भी लगा लिया
फिर सोचने लगे बैचलर ही रहते काश।
मज़ाक नही जनाब सत्य है,
शादी के बाद ही होता ये एहसास।
फिर उम्र का वो पड़ाव है आता,
जब शादी की सालगिरह भी नही रहती
पति महोदय को याद।
वास्तव में ये याद का विषय नहीं है।
इश्किया मिजाज़ की है बात।
.....आगे कैप्शन मैं पढ़े।





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